Diwali Essay in Hindi (दीपावली पर निबंध)-
हमारा भारत देश त्योहारों का देश है। लेकिन भारत में मनाये जाने वाले त्यौहारों में दिवाली पर्व का अपना विशेष महत्व है। दिवाली के पर्व की इसी महत्वता को देखते हुए इस पोस्ट में दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) लिखा गया है। दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh) सभी कक्षाओं के लिए उनकी आवश्यकता के अनुसार लिखा गया है ताकि सभी को पढ़ने-लिखने व याद करने में कोई परेशानी न हो।
Diwali Par 10 Lines in Hindi (Essay on Diwali in Hindi for Kids)
- दीपावली प्रकाश का पर्व है।
- दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति (कतार) ।
- दिवाली कार्तिक की अमावस्या को मनाया जाता है।
- इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष का बनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।
- इससे एक दिन पहले छोटी दीपावली तथा दो दिन पहले धनतेरस मनाई जाती है।
- इस दिन श्री गणेश और लक्ष्मी का पूजन भी किया जाता है।
- दीपावली के दिन घी व तेल के दीपक और मोमबत्तियां जलाई जाती है।
- घरों व बाज़ारों को सजाया जाता हैं।
- हर कोई नए नए कपडे पहनता है व खरीददारी करता है।
- सभी लोग एक दूसरे को मिठाई देकर दिवाली की बधाई देते हैं।
Short Essay on Diwali in Hindi for Class 3
दिवाली पर निबंध (100 शब्द)
दीपावली का अर्थ है दीप + अवली अर्थात दीपों की पंक्ति। दीपावली प्रकाश का पर्व है। समृदधि व खशहाली का पर्व है। कार्तिक की अमावस्या को दीपावली का शुभ दिन आता है। इस काली रात को दीप जलाकर उजियाला करके पूर्णिमा बना दिया जाता है। इस दिन श्रीराम तामसी ताकतों का विनाश करके चौदह वर्ष बाद अयोध्या लौटे थे लाखों दिए जलाकर उनका स्वागत किया गया था।
इस दिन श्री गणेश और लक्ष्मी का पूजन भी किया जाता है। जिससे परिवार के कष्ट दूर हो व धन का आगमन हो। इस त्यौहार के आने से पूर्व घर में सफाई करके साफ सुथरा किया जाता है। कहा जाता है लक्ष्मी, सफाई से ही आती है अभाव को कूड़े करकट के रूप में फेंक दिया जाता है। फिर दीप जलाकर प्रकाश किया जाता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कहा जाता है कि खेतों की फसल कटकर घर आती है तो कृषक घर पर इस खुशी को गणेश लक्ष्मी का पूजन करते हैं और दीप जलाते हैं।
इस पर्व पर लोग बाज़ार से खरीदारी करते हैं और एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। कुछ लोग इसे ग़लत तरीके से मनाते हैं जुआ खेलते है शराब पीते है। ऐसा नहीं करना चाहिए बल्कि सबकी मंगल कामना करते हुए इस पर्व की गरिमा बनाए रखना चाहिए।
Diwali Essay in Hindi for Child (200 Words)
दिवाली पर निबंध (200 शब्द)
भारतवर्ष अनेक त्योहारों का देश है। उन त्योहारों में से दीपावली हिन्दुओं का एक अत्यन्त प्रसिद्ध त्यौहार है। दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति (कतार) । इस दिन हिन्दू लोग दीये तथा मोमबत्तियाँ जलाकर उनकी कतार लगा देते हैं। यह पर्वकार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सारे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम व उल्लास के साथ मनाया जाता है। इससे एक दिन पहले छोटी दीपावली तथा दो दिन पहले अर्थात् त्रयोदशी को धनतेरस मनाई जाती है। इन दीपों, मोमबत्तियों तथा बिजली के बल्बों की इतनी रोशनी की जाती है कि अमावस्या की रात भी पूर्णिमा की रात-सी जगमगाने लगती है।
इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष का बनवास काटकर सीता तथा लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने इस दिन दीपक जलाए थे तथा घर-घर में मिठाइयाँ बाँटी थीं। इसी खुशी में लोग आज भी अपने घरों को सजाते हैं तथा आतिशबाजी चलाते हैं। परम्परागत यह त्यौहार आनन्द, उल्लास तथा विजय का प्रतीक बन गया है। इस दिन सभी बच्चे, बूढे नए वस्त्र धारण करते हैं।
इस त्यौहार से पूर्व सभी लोग अपनी दुकानों तथा घरों में लिपाई-पुताई व सफाई का काम कराते हैं। इस शुभ अवसर पर लोग शुभकामनाओं के साथ अपने इष्ट मित्रो व सम्बन्धियों को भिन्न-भिन्न प्रकार के उपहार जैसे मिष्ठान्न, मेवे व फलादि भिजवाते हैं।
व्यापारी वर्ग के लिए तो इस त्यौहार का अपना विशेष महत्त्व है। वे इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी-पूजन करते हैं। नए बही-खाते आरम्भ करते है तथा अपने बही-खातों की बड़ी श्रद्धा से पूजा करते है। लक्ष्मी के आगमन के विश्वास के साथ वे अपने घरों के द्वार खुले रखते हैं तथा रात भर दीपक आदि जलाकर रोशनी करते है।
इस त्यौहार की महानता को एक विशेष अवगुण ने कम कर दिया है। इस दिन अनेक लोग लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जुआ खेलते हैं तथा शराब पीते हैं। इन बुराइयों के कारण घर के घर बर्बाद हो जाते हैं। हमें इन बुराइयों को जड़ से उखाड़ने की कोशिश करनी चाहिए।
Essay on Diwali in Hindi in 250 Words
दिवाली पर निबंध (250 शब्द)
भारत के त्योहारों में दीपावली भी एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। कहते हैं कि जब श्री रामचन्द्रजी लंका-विजय कर अयोध्या आये तो उसी खुशी में लोगों ने अपने घरों में घी के दीपक जलाये और खुशियाँ मनायीं। कोई कहते हैं कि दुर्गा ने जब शुम्भ-निशुम्भ राक्षसों का वध कर दिया तो लोगों ने खुशियाँ मनायीं। वे दोनों राक्षस अत्यन्त अत्याचारी थे। परन्तु आजकल लोग यह मानते हैं कि यह त्यौहार लक्ष्मीजी का है। लक्ष्मीजी विष्णु भगवान की भार्या व धन की देवी मानी जाती हैं। अस्तु, व्यापारी वर्ग या वैश्य लोग इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं।
दीपावली का त्यौहार कार्तिक की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्यौहार लगभग पांच दिन चलता है धनतेरस, छोटी दीपावली, बड़ी दीपावली, गोवर्धन और भ्रातृ-द्वितीया या भैया-दूज।
कार्तिका अमावस्या को दीपावली का त्यौहार होता है। इस दिन लोग नवीन-नवीन वस्त्र धारण करते हैं तथा खोले, खिलौने, सुन्दर-सुन्दर मूर्तियाँ, चित्र, मिठाइयाँ आदि खरीदकर लाते हैं। कोई-कोई धनी पुरुष चांदी की लक्ष्मीजी की प्रतिमा रखते हैं। कण्डील, मोमबत्ती, फुलझड़ी सर्वत्र बिकती हुई दिखाई देती हैं।
सन्ध्या से ही द्वार, बाजार, गली आदि अभी जगमग हो उठते हैं। रात्रि में दिन हो जाता है। कहीं लड़के मोमबत्ती जलाते हैं, कहीं फुलझड़ी छोड़ते हैं, कहीं पटाये चलाते हैं। घरों में रंग-बिरंगे कण्डीलों का प्रकाश बहुत ही सुन्दर दिखाई देता है। रात्रि को लक्ष्मी -पूजन होता है और लोग खिल-खिलोनें और मिठाइयाँ बांटते है। व्यापारियों के यहाँ विशेषकर आज के ही दिन बहियाँ बदली जाती हैं। वे लोग इनका पूजन भी करते है। परन्तु सबसे अधिक दर्शनीय वस्तु तो रोशनी होती है। दीपों की जगमगाती पंक्ति मन को मोह लेती है। शहरों में बिजली के हरे, पीले, लाल, नीले लटुओं से दुकानें तथा घर सजाये जाते हैं। अस्तु, वे पुते-लिपे मकान चमक उठते हैं।
प्रत्येक घर में लक्ष्मी-पूजन करने के उपरान्त लोग रोशनी देखने जाते हैं और बाजारों में लोगों की भीड़ लग जाती है। सभी अपने सुन्दर से सुन्दर कपड़े पहनकर निकलते हैं। इसी को हम दीपावली का त्यौहार कहते हैं।
Diwali Essay in Hindi for Class 4
दिवाली पर निबंध (350 शब्द)
पर्व और त्यौहार किसी भी जाति और राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक होते हैं। ये त्यौहार राष्ट्र में, लोगों के जीवन में स्फूर्ति प्रदान करते हैं। ये पर्व और त्यौहार भी जाति के गौरव के प्रतीक होते हैं।
भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी और राजस्थान से नेफा की ऊँचाइयों तक सैकड़ों त्यौहार मनाए जाते हैं। उत्तर भारत में दीपावली, वैशाखी, होली तथा जन्माष्टमी आदि त्यौहार मनाए जाते हैं, तो दक्षिण में पोंगल का प्रसिद्ध त्यौहार मनाया जाता है। यदि पूर्व में नवरात्रि और दुर्गापूजा की जाती है तो पश्चिम में राग-रागिनियों द्वारा तुलजा-भवानी की पूजा होती है।
उत्तर भारत के प्रत्येक भारतीय के लिए दीपों का त्यौहार दीपावली सबसे अधिक लोकप्रिय त्यौहार है। यह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात् सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। श्रीराम के लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपक जलाए थे। उसी परंपरा के अनुसार आज भी लोग इस त्यौहार को मनाते हैं।
दीपावली को आर्यसमाजी, जैनी और सिक्ख लोग भी मनाते हैं। इस दिन आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने महासमाधि ली थी। इस दिन जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। सिक्खों के छठे गुरु ने इसी दिन बंदीगृह से मुक्ति प्राप्त की थी।
इस वर्ष भी, इस पर्व का आरंभ हमेशा की तरह घरों की सफाई और सफेदी से हुआ। इस सफाई अभियान में मैंने भी योगदान दिया।
कई दिन पूर्व सफाई इत्यादि समाप्त हो चुकी थी और आ पहुँचा वह दिन जिसकी बड़ी प्रतीक्षा थी और जगमगा उठा नगर-नगर, डगर-डगर। दीपावली के टिमटिमाते दीपकों से महँगाई के दिनों में भी हिंदू व सारा देश कितनी श्रद्धा और प्रेम से अपनी सांस्कृतिक संपदा का स्वागत करते हैं, यह देखते ही बनता है। न पटाखों की कमी, न मिठाइयों की दुकानों की कमी और न कमी हर्ष और उल्लास की। कम-से-कम उस दिन तो ऐसा लगा कि घर-घर में लक्ष्मी का पदार्पण हो चुका है।
मैंने भी लक्ष्मी-पूजन में भाग लिया और सारी रात घर में उजाला रखा, ताकि कहीं अँधेरे की वजह से लक्ष्मी लौट न जाए। सभी लोगों की तरह मैं भी सजधजकर अपने मित्रो के साथ बाज़ार में घूमने गया और मिठाई, खिलौने, फुलझड़ियाँ और आतिशबाजी का सामान आदि खरीदा। कुछ लोग इस दिन जुआ भी खेलते हैं। मैं यह नहीं मानता कि जुआ खेलना इस त्यौहार के साथ परंपरागत रूप से जुड़ा हुआ है। मैं तो यह जानता हूँ कि इस दुर्व्यसन से इस पर्व की पवित्रता नष्ट हो जाती है।
भारतीय संस्कृति के महाप्रतीक इस त्यौहार को विधिपूर्वक ही मनाया जाना चाहिए।
Essay on Diwali in Hindi for Class 5
दीपावली पर निबंध (500 शब्द)
दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक-पर्व है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। इसे प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली एक ऐसा पर्व है जिसके आगे-पीछे कई पर्व मनाए जाते हैं। धनतेरस से इस पर्व का आरंभ होता है, जिस दिन लोग लक्ष्मी, गणेश, बरतन तथा पूजा की सामग्री खरीदते हैं। धनतेरस को धन्वन्तरि जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है। धन्वन्तरि वैद्यों के शिरोमणि थे। धनतेरस के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी होती है।
इस दिन व्यापक रूप से सफाई की जाती है तथा भगवती लक्ष्मी के आगमन के लिए घर-बाहर काफी सजावट की जाती है। इसे छोटी दीपावली कहने का भी गौरव प्राप्त है। इस दिन घर में आसपास सरसों के तेल के दीये जलाकर रखे जाते हैं तथा दूसरे दिन भगवती लक्ष्मी के आह्वान के लिए स्तुति व पूजन किया जाता है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी के पश्चात् चिर प्रतीक्षित दीपावली का महापर्व आता है।
प्रातःकाल से ही दीपावली के पूजन तथा घरों को सजाने-संवारने का काम शुरू होता है। कुछ लोग दीपावली के दिन रात 12 बजे भी भगवती लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
दीपावली के पर्व की शुरुआत कब से हुई इसके विषय में अनेक कथाएँ हैं, जिनमें सबसे ज़्यादा प्रचलित तथा मानने योग्य कथा यह है कि रावण का वध करने के उपरान्त जब भगवान राम अयोध्या वापस आए थे, तो लोगों ने उनके स्वागत के लिए घर-बाहर सभी जगह दीपक जलाए थे। दीपक जलाने का रिवाज तभी से चला आ रहा है। इस अवसर पर श्रीराम की पूजा करने का विधान होना चाहिए था, लेकिन आजकल लोग लक्ष्मी, गणेश की पूजा करते हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी समृद्धि तथा धन-सम्पत्ति की देवी हैं। भगवान गणेश की भी यही विशेपता है।
दीपावली के त्यौहार में जहाँ अनेक गुण है, वहीं इस त्यौहार के कुछ दुर्गुण भी हैं दीपावली खर्चीला त्यौहार है। कुछ लोग कर्ज लेकर भी इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं। नए कपड़े पहनते हैं, कार्ड भेजते हैं तथा डटकर मिठाई छानते हैं। नतीजा यह होता है कि यदि त्यौहार महीने के बीच या महीने के शुरू में पड़ता है। तो आम नागरिक को पूरा महीना आर्थिक दिक्कतों से काटना पड़ता है। इस प्रकार यह त्यौहार आम लोगों के लिए सुखकारी होने की जगह दुःख (ऋण) कारी सिद्ध होता है।
दीपावली पर्व के विषय में एक आम धारणा यह भी है कि इस त्यौहार के लिए जुआ खेलने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं तथा वर्ष-भर धन आता रहता है। कितना बड़ा अंधविश्वास लागों के मन में समाया हुआ है। इस अंधविश्वास के कारण लक्ष्मी और गणेश पूजन का यह महापर्व लोगों के आकस्मिक संकट का कारण बन जाता है। कुछ लोग जुए में अपना सर्वस्व एक ही रात में गंवा बैठते हैं।
समय तथा परिस्थितियों के कारण इस पर्व के मनाने में जो तमाम पैसा पटाखों, फुलझड़ियों में बरबाद किया जाता है, वह रोका जाना चाहिए। इससे हमारा पैसा तो आग के सुपुर्द होता ही है, इसके साथ-साथ कभी-कभी ऐसी दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं, जो जीवनभर के लिए व्यक्ति को अपंग बना देती हैं।
Short Essay on Diwali in Hindi Language
दिवाली : निबंध
दीपावली हिंदुओं का प्रमुख पर्व है। यह पर्व समूचे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्षा और शरद् ऋतु के संधिकाल का यह मंगलमय पर्व है। यह कृषि से भी सम्बंधित है। ज्वार, बाजरा, मक्का, धान, कपास आदि इसी ऋतु की देन हैं। इन फसलों को ‘खरीफ’ की फसल कहते हैं।
इस त्यौहार के पीछे भी अनेक कथाएँ हैं। कहा जाता है कि जब श्रीरामचंद्र रावण का वध करके अयोध्या लौटे, तब उस खुशी में उस दिन घर-घर एवं नगर-नगर में दीप जलाकर यह उत्सव मनाया गया। उसी समय से दीपावली की शुरुआत हुई। यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने नरकासुर का इसी दिन संहार किया था। यह भी कहा जाता है कि वामन का रूप धारण कर भगवान् विष्णु ने दैत्यराज बलि की दानशीलता की परीक्षा लेकर उसके अहंकार को मिटाया था। तभी तो विष्णु भगवान् की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है।
जैन धर्म के अनुसार, चौबीसवें तीर्थंकर भगवान् महावीर ने इसी दिन पृथ्वी पर अपनी अंतिम ज्योति फैलाई थी और वे मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु भी इसी अवसर पर हुई थी। इस प्रकार इन महापुरुषों की स्मृतियों को अमर बनाने के लिए भी यह त्यौहार बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है।
यह त्यौहार पाँच दिनों तक चलता रहता है। त्रयोदशी के दिन ‘धनतेरस’ मनाया जाता है। उस दिन नए-नए बरतन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। एक कथा प्रचलित है कि समुद्र-मंथन से इसी दिन देवताओं के वैद्य ‘धन्वंतरि’ निकले थे। इस कारण इस दिन ‘धन्वंतरि जयंती’ भी मनाई जाती है। दूसरे दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को ‘नरक चतुर्दशी’ अथवा ‘छोटी दीपावली’ का उत्सव मनाया जाता है। श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के कारण यह दिवस ‘नरक चतुर्दशी’ के नाम से जाना जाता है। अपने-अपने घरों से गंदगी दूर कर देना ही एक प्रकार से नरकासुर के वध को प्रतीक रूप में मान लिया जाता है।
तीसरे दिन अमावस्या होती है। दीपावली उत्सव का यह प्रधान दिन है। रात्रि के समय लक्ष्मी-पूजन होता है। उसके बाद लोग अपने घरों को दीप-मालाओं से सजाते हैं। बच्चे-बूढ़े फुलझड़ी और पटाखे छोड़ते हैं। सारा वातावरण धूम-धड़ाके से गुंजायमान हो जाता है। इस प्रकार अमावस्या की रात रोशनी की रात में बदल जाती है।
चौथे दिन ‘गोवर्द्धन-पूजा’ होती है। यह पूजा श्रीकृष्ण के गोवर्द्धन धारण करने की स्मृति में की जाती है। स्त्रियाँ गोबर से गोवर्द्धन की प्रतिमा बनाती हैं। रात्रि को उनकी पूजा होती है। किसान अपने-अपने बैलों को नहलाते हैं और उनके शरीर पर मेहँदी एवं रंग लगाते हैं। इस दिन ‘अन्नकूट’ भी मनाया जाता है।
पाँचवें दिन ‘भैयादूज’ का त्यौहार होता है। इस दिन बहनें अपने-अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लिए मंगल-कामना करती हैं। कहा जाता है कि इसी दिन यमुना ने अपने भाई यमराज के लिए कामना की थी। तभी से यह पूजा चली आ रही है। इसीलिए इस पर्व को ‘यम द्वितीया’ भी कहते हैं।
दरअसल दीपावली का पर्व कई रूपों में उपयोगी है। इसी बहाने टूटे-फूटे घरों, दूकान, फैक्टरी आदि की सफाई-पुताई हो जाती है। वर्षा ऋतु में जितने कीट-पतंगे उत्पन्न हो जाते हैं, सबके सब मिट्टी के दीये पर मँडराकर नष्ट हो जाते हैं।
जहाँ दीपावली का त्यौहार हमारे लिए इतना लाभप्रद है, वहीं इस त्यौहार के कुछ दोष भी हैं। कुछ लोग आज के दिन जुआ आदि खेलकर अपना धन बरबाद करते हैं। उनका विश्वास है कि यदि जुए में जीत गए तो लक्ष्मी वर्ष भर प्रसन्न रहेंगी। इस प्रकार से भाग्य आजमाना कई बुराइयों को जन्म देता है, एक बात और दीपावली पर अधिक आतिशबाजी से बचना चाहिए, क्योंकि इसका धुआँ हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
Prakash Parv Diwali Par Nibandh
दीपावली-प्रकाश उत्सव : निबंध
हिन्दू धर्म में यों तो रोजाना कोई न कोई पर्व होता है लेकिन इन पर्वो में मुख्य त्यौहार होली, दशहरा और दिवाली ही हैं। हमारे जीवन में प्रकाश फैलाने वाला दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इसे ज्योतिपर्व या प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है। इस दिन अमावस्या की अंधेरी रात दीपकों व मोमबत्तियों के प्रकाश से जगमगा उठती है। वर्षा ऋतु की समाप्ति के साथ-साथ खेतों में खड़ी धान की फसल भी तैयार हो जाती है।
दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को आता है। इस पर्व की विशेषता यह है कि जिस सप्ताह में यह त्यौहार आता है उसमें पांच त्यौहार होते हैं। इसी वजह से सप्ताह भर लोगों में उल्लास व उत्साह बना रहता है। दीपावली से पहले धन तेरस पर्व आता है। मान्यता है कि इस दिन कोई-न-कोई नया बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए। इस दिन नया बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इसके बाद आती है छोटी दीपावली, फिर आती है दीपावली। इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा तथा अन्त में आता है भैयादूज का त्यौहार।
अन्य त्यौहारों की तरह दिवाली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएँ जुड़ी हुई हैं। समुद्र-मंथन करने से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थी। इसके अलावा जैन मत के अनुसार तीर्थंकर महावीर का महानिर्वाण भी इसी दिन हुआ था। भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुष श्री राम लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे उनके अयोध्या आगमन पर अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए घरों को सजाया व रात्रि में दीपमालिका की।
ऐतिहासिक दृष्टि से इस दिन से जुड़ी महत्त्वपूर्ण घटनाओं में सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह मुगल शासक औरंगजेब की कारागार से मुक्त हुए थे। राजा विक्रमादित्य इसी दिन सिंहासन पर बैठे थे। सर्वोदयी नेता आचार्य विनोबा भावे दीपावली के दिन ही स्वर्ग सिधारे थे। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ जैसे महापुरुषों ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था।
यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोगों द्वारा दीपों व मोमबत्तियाँ जलाने से हुए प्रकाश से कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात में बदल जाती है। इस त्यौहार के आगमन की प्रतीक्षा हर किसी को होती है। सामान्यजन जहाँ इस पर्व के आने से माह भर पहले ही घरों की साफ-सफाई, रंग-पुताई में जुट जाते हैं। वहीं व्यापारी तथा दुकानदार भी अपनी-अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। इसी त्यौहार से व्यापारी लोग अपने बही-खाते शुरू किया करते हैं। इस दिन बाज़ार में मेले जैसा माहौल होता है। बाज़ार तोरणद्वारों तथा रंग-बिरंगी पताकाओं से सजाये जाते हैं। मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं। इस दिन खील-बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है। बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य आतिशबाजी खरीदते हैं।
इस दिन रात्रि के समय लक्ष्मी पूजन होता है। माना जाता है कि इस दिन रात को लक्ष्मी का आगमन होता है। लोग अपने इष्ट-मित्रों के यहाँ मिठाई का आदान-प्रदान करके दीपावली की शुभकानाएँ लेते देते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस त्यौहार का अपना एक अलग महत्त्व है। इस दिन छोड़ी जाने वाली आतिशबाजी व घरों में की जाने वाली सफाई से वातावरण में व्याप्त कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। मकान और दुकानों की सफाई करने से जहाँ वातावरण शुद्ध हो जाता है वहीं वह स्वास्थ्यवर्द्धक भी हो जाता है।
कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं व शराब पीते हैं, जोकि मंगलकामना के इस पर्व पर एक तरह का कलंक है। इसके अलावा आतिशबाजी छोड़ने के दौरान हुए हादसों के कारण दुर्घटनाएँ हो जाती हैं जिससे धन-जन की हानि होती है। इन बुराइयों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।
Essay on Diwali in Hindi for Class 6
दिवाली पर निबंध
दिवाली हिन्दुओं का महान् संस्कृति का सुन्दर प्रतीक है दीपावली। दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। प्राचीन काल से मानव इस त्यौहार को मनाता आया है और मना रहा है। दीपावली पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। अमावस्या की गहन अन्धेरी रात को दीपों की पंक्तियाँ पूर्णिमा की रात में बदल देती हैं। दीपावली के प्रकाश के समक्ष आकाश में चमकते तारे भी प्रकाशहीन से लगते हैं।
दीपावली के इस पर्व का सम्बन्ध मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से है। कहा जाता है कि इस दिन श्रीराम अपनी जन्मभूमि अयोध्या वापिस लौटे थे। अयोध्यावासियों ने दीपमाला जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से सभी हिन्दू और इसके अतिरिक्त अन्य जातियाँ भी अपने घरों में दीपमाला करते हैं और दिवाली के त्यौहार को मनाते हैं। इसी दिन तीर्थंकर महावीर स्वामी, आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती, महान् वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ एवं भूदान आन्दोलन के प्रवर्तक आचार्य विनोबा भावे का स्वर्गवास हुआ था। सिक्खों के छठे गुरु श्री हरगोविन्द सिंह जी इसी दिन ग्वालियर किले की कैद से मुक्त होकर अमृतसर पहुँचे थे।
दिवाली का पर्व आने से पूर्व और आने के बाद त्योहारों को लेकर आता है। दीपावली से दो दिन पूर्व ‘धनत्रयोदशी’ होती है। इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनत्रयोदशी के अगले दिन नरक चतुर्थी या छोटी दीवाली होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी दिन भगवान नृसिंह ने प्रहलाद की रक्षा और हिरण्यकश्यप का वध किया था। इसके बाद अमावस्या को दीपावली होती है। इसी दिन लक्ष्मी जी समुद्र मन्थन से प्रकट हुई थीं। इसीलिए घरों में दीपक जलाए जाते हैं और धन की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। चौथे दिन ‘गोवर्धन पूजा’ होती है।
इस दिन श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को अतिवृष्टि से बचाकर इन्द्र के अभिमान को चूर कर दिया। पांचवे दिन ‘भैया दूज’ का त्यौहार होता है। इस दिन बहनें भाइयों के मस्तक पर तिलक लगाकर उनके लिए मंगल कामना करती हैं और भाई बहनों को उपहार इत्यादि देते हैं। दीवाली से पूर्व ही तैयारियाँ भी बहुत रोचक होती हैं। लोग बीस दिन पहले से ही अपने घरों की सफाई शुरू कर देते हैं।
घरों में रंग-रोगन का काम शुरू हो जाता है। खिड़कियों और घरों के फर्नीचर को साफ किया जाता है। मित्रो को ‘ग्रीटिंग कार्ड्स’ भेजे जाते हैं। लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को खरीदकर अपने घर के मन्दिरों में स्थापित किया जाता है। वैदिक मन्त्रोंच्चारण, यज्ञ, हवन के साथ पूजन समाप्त होता है।
दीवाली के दिन लोग घरों में छोटे-छोटे मिट्टी के दीपकों में तेल भरकर जलाते हैं। मोमबत्तियों और विद्युत चालित बल्बों से घरों में प्रकाश किया जाता है। छोटे बच्चे पटाखे बम फलझडियाँ अनार चक्करी आदि छोडते हैं। लोग अपने मित्रो के घर मिठाई। मेवे। फल आदि भिजवाते हैं। इस दिन दकानें भी दल्हन की तरह सजी होती हैं। मिठाई वालों और अन्य दकानदारों को इस दिन का विशेष रूप से इन्तजार रहता हैं, क्योंकि साल भर की कमाई वह एक दिन में कर लेते हैं। यह त्यौहार आपसी कटुता का अन्त और जीवन में प्रेम का संचार करता है। कुछ लोग शराब पीकर जुआ खेलकर अपनी खुशियाँ मनाते हैं। यह बुरी आदत है जो जीवन को पतन की ओर ले जाती है।
दिवाली का पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमारा अतीत कितना महान् था। जब हम दीये के प्रकाश में अमावस्या की काली रात को पूर्णिमा की रात में बदल सकते हैं, तो अपने ही ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान के तिमिर (अन्धकार) को भी नष्ट कर सकते हैं। इसलिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाए-“तमसो मा ज्योतिर्गमय।”
Diwali Essay in Hindi
दीपों का त्यौहार: दीपावली (800 शब्द)
भारत के त्यौहार यहाँ की संस्कृति और समाज का आइना हैं। सभी त्योहारों की अपनी परंपरा व अपना महत्त्व है। भारत को त्योहारों का देश कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि यहाँ हर माह कोई न कोई त्यौहार आते ही रहते हैं। फाल्गुन मास में रंगों के त्यौहार ‘होली’ की धूम होती है तो बैशाख में सिक्ख बंधुओं की बैशाखी मनाई जाती है। इसी प्रकार क्वार मास में विजयादशमी की चहल-पहल चारों ओर दिखाई देती है तो कार्तिक मास में पूरा देश दीपों के प्रकाश से जगमगा उठता है।
दीपावली हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह शरद ऋतु के आगमन का समय है जब संपूर्ण वातावरण सुहावना एवं सुंगधित वायु से परिपूरित होता है॥
दीपावली त्यौहार के संदर्भ में अनेक मान्यताएँ प्रचलित हैं। अधिकांश लोग अयोध्यापति राजा राम के दुराचारी लंका के राजा रावण पर विजय के पश्चात् अयोध्या लौटने की खुशी में इस त्यौहार को मनाते हैं। उनका मानना है कि कार्तिक मास की अमावस्या की इसी तिथि को अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या नगरी में भगवान राम के स्वागत के उपलक्ष्य में दीप प्रज्वलित किए थे, तभी से उसी श्रद्धा और उल्लास के साथ लोग इस पर्व को मनाते चले आ रहे हैं। वैश्य एवं व्यापारी लोग इस दिन आगामी फसल की खरीद तथा व्यापार की समृद्धि हेतु अपने तराजू, बाट, व बही-खाते तैयार करते हैं तथा ऐश्वर्य की प्रतीक देवी ‘लक्ष्मी’ की श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं। इसी प्रकार बंगाली एवं दक्षिण प्रदेशीय लोगों की इस त्यौहार के संदर्भ में मान्यताएँ भिन्न हैं।
यह त्यौहार हिंदुओं के लिए विशेष महत्त्व रखता है। त्यौहार के लगभग एक सप्ताह पूर्व ही इसके लिए तैयारियाँ प्रारंभ हो जाती हैं। इसमें सभी लोग अपने घरों, दुकानों की साफ-सफाई व रंग-रोगन आदि करते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों व साज-सज्जा के द्वारा घर को सजाते हैं। इस प्रकार वातावरण में हर ओर स्वच्छता एवं नवीनता आ जाती है।
दीपावली मूलतः अनेक त्योहारों का सम्मिश्रण है। दीपावली धनतेरस, चौदस, प्रमुख दीपावली, अन्नकूट तथा भैया-दूज का सम्मिलित रूप है। धनतेरस के दिन लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं तथा सभी इस दिन नए बरतनों की खरीदारी को शुभ मानते हैं। चौदस के दिन बच्चों को उबटन द्वारा विशेष रूप से स्नान कराया जाता है। इसके बाद दीपावली का प्रमुख दिन आता है। अन्नकूट में गोबर को रखकर गोवर्धन पूजा को प्रारंभ करवाया जाता है। भैया दूज के दिन सभी बहनें भाइयों को टीका लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं
दीपवली का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है। इस दिन सड़कों, दुकानों, गलियारों सभी ओर चहल-पहल व उल्लास का वातावरण दिखाई देता है। सजीधजी दुकानों पर रंग-बिरंगे वस्त्र पहने हुए लोग बड़े ही मनोहारी लगते हैं। व्यापारीगण विशेष रूप से उत्साहित दिखाई देते हैं। सायंकाल सभी घरों में लक्ष्मी व गणेश की पूजा की जाती है। इसके पश्चात् सभी घर एक-एक कर दीपों से प्रज्वलित हो उठते हैं। इसके बाद सारा वातावरण पटाखों की गूंज से भर जाता है। बच्चे, बूढ़े, जवान सभी प्रसन्नचित्त दिखाई पड़ते हैं। घरों, दुकानों आदि में दीप प्रज्वलित करने के पीछे मनुष्य की अवधारणा यह है कि प्रकाशयुक्त घरों में लक्ष्मी निवास करने आती है। प्राचीन काल में तो लोग इस रात्रि को अपने दरवाजे खुले रखते थे।
दीपावली के त्यौहार का मनुष्य जीवन में विशेष महत्त्व है। लोग त्यौहार के उपलक्ष्य में अपने घर की पूरी तरह सफाई करते हैं जिससे कीड़े-मकोड़ों व अन्य रोगों की संभावना कम होती है। महीनों की थकान भरी दिनचर्या से अलग लोगों में उत्साह, उल्लास व नवीनता का संचार होता है।
परंतु इस त्यौहार की दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना यह है कि लक्ष्मी के आगमन के बहाने लोग जुए जैसी राक्षसी प्रवृत्ति को अपनाते हैं जिसमें कभी-कभी परिवार के परिवार बर्बाद हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त दिखावे के चलते लोग इन त्योहारों पर ज़रूरत से ज़्यादा खर्च करते हैं जो भविष्य में अनेक परेशानियों का कारण बनता है। अधिक धुआँ छोड़ने वाले तथा भयंकर शोर करने वाले पटाखों को छोड़कर खुश होने की घातक परंपरा को भी अब विराम देने की आवश्यकता है। हम सबका यह नैतिक कर्तव्य है कि हम इन कुरीतियों से स्वयं को दूर रखें ताकि इस महान पर्व की गरिमा युग-युगांतर तक बनी रहे।
Essay on Diwali in Hindi Wikipedia Link-
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