Essay on Summer Vacation in Hindi | गर्मी की छुट्टियों पर निबंध

garmi-ki-chutti-pa-nibandh

Summer Vacation Essay in Hindi Language

गर्मी की छुट्टी पर निबंध 1 (150 Words)

गर्मी की छुट्टियों (Garmi ki Chutti) उन बच्चों के लिए गर्मियों का मजा बन जाता है जो स्कूल में आखिरी घंटी बजने पर खुश हो जाते हैं। गर्मी की छुट्टियों बच्चों के लिए सबसे सुखद क्षण बन जाती है क्योंकि उन्हें स्कूल और स्कूल के काम के दैनिक व्यस्त जीवन से लंबा ब्रेक मिलता है। गर्मी को खुशी से हराने के लिए गृहकार्य से दूर जाने और घर से शहर, पहाड़ी स्टेशनों और अन्य शांत स्थानों की अच्छी यात्रा से मनोरंजन करने का समय आ गया है।

यह गृहकार्य से दूर जाने और घर से शहर, पहाड़ी स्टेशनों और अन्य शांत स्थानों की अच्छी यात्रा करने और मनोरंजन करने का समय होता हैं हालांकि छात्रों को बहुत सारे घृहकार्य मिलते हैं जो उन्हें स्कूल खुलने के बाद जमा करना होता हैं, लेकिन घृहकार्य मिलने के बाद भी, वे अत्यधिक गर्मी की वजह से स्कूल बंद हो जाने पर, आराम और मनोरंजक महसूस करते हैं।


How I Spent My Summer Vacation Essay for Class 8 in Hindi

मैंने ग्रीष्मावकाश कैसे बिताया : निबंध (250 Words)

गरमियों की छुट्टियों (garmi ki chutti)में हमें कालका मेल से शिमला जाना था। अतः हम प्लेटफार्म नं। आठ पर गए। वहाँ यात्रियों की अपार भीड़ थी। हमारी गाड़ी छूटने का समय दस बजे था। पंद्रह मिनट पहले गाड़ी प्लेटफार्म पर आ गई। हम सब डब्बे में अपना सामान रखकर आराम से बैठ गए। गार्ड के सीटी देते ही गाड़ी चल पड़ी। सायं लगभग छः बजे गाड़ी कालका स्टेशन पहुँच गई।

हम सबने खाना खाया और रात्रि प्रतीक्षालय में बिताई। प्रातः साढ़े आठ बजे हम पुनः नैरोगेज गाड़ी पर सवार हुए। जैसे ही सुरंग आती, छोटे-बड़े शोर मचाते और प्रसन्नता से झूम उठते। अनेक सुरंगों को पार करते हुए हमारी गाड़ी दोपहर एक बजे शिमला पहुँच गई।

ये भी पढ़ें –

शिमला में हम ग्रांड होटल में ठहरे। शिमला पहुँचकर हमें ऐसा लगा मानो स्वर्ग में आ गए हैं। वहाँ चारों तरफ हरियाली थी। मौसम बड़ा सुहावना था और ठंडी-ठंडी हवा हमारे मन को प्रसन्न कर रही थी।

शाम को माल रोड पर बड़ी रौनक रहती है। रंग-बिरंगी पोशाकें पहने लोग ऐसे घूमते हैं मानो वे सबकुछ भूलकर मस्ती की दुनिया में जी रहे हों। हम नित्य वहाँ के रमणीक स्थानों को देखने जाते। वहाँ के मस्त मौसम में दिन निकलने और छिपने का पता ही नहीं चलता। इस प्रकार हमने जून का पूरा महीना वहाँ बिताया।

ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ (garmi ki chutti) समाप्त होने को थीं। अतः हम पहली जुलाई को दिल्ली वापस आ गए। हमारा गरमी का मौसम बड़े अच्छे ढंग से बीत गया। मुझे यह रेलयात्रा हमेशा स्मरणीय रहेगी।


Garmi KI Chuttiyan Kaise Bataye Nibandh

मैं अपनी छुट्टियाँ कैसे बिताऊँगा? : निबंध (250 Words)

छुट्टियों में हम वह सब कुछ कर सकते हैं जो हमें अच्छा लगता है। हमारे पास मनोरंजन के लिये व कुछ नया सीखने के लिये बहुत समय होता है। छुट्टियाँ हमें कुछ नया हुनर सीखने का अवसर प्रदान करती हैं। मनपसन्द कुछ भी करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है। किन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि हम अपना वक्त बरबाद करें। हमें अपने समय को योजनाबद्ध तरीके से बिताना चाहिए।

नया सीखने, खेलने, मनोरंजन में अवकाश के समय का सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिये। मैं अपना सारा समय गपबाजी एवं कॉमिक पढ़ने में नहीं बिताऊँगा। छुट्टियों में मैं प्रतिदिन व्यायाम करूँगा एवं दोस्तों के साथ मैच खेलूँगा। एक सप्ताह के लिये ‘पंचमढ़ी’ जाने का मेरा मन है। वहाँ जाकर मैं पहाड़ों पर चढ़ने का अनुभव प्राप्त करूँगा एवं परिस्थिति विज्ञान’ पढूँगा।

आजकल कम्प्यूटर बहुत लोकप्रिय एवं अपरिहार्य हो गये हैं। मैं कम्प्यूटर की प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास करूंगा। अवकाश के दिनों में हमारे पास मनोरंजन, खेलों एवं अपने शौक को पूरा करने के लिये पर्याप्त समय होता है। मैं तैराकी करके एक तो अपना शौक पूरा करूँगा, दूसरे गर्मी से बनूंगा। छुट्टियों की अवधि में मेरी गिटार सीखने की योजना भी है।

इसके अतिरिक्त मैं अपने बगीचे में बागवानी करके भी कुछ समय बिताना चाहता हूँ। अपने टिकट संग्रह एवं सिक्कों के संग्रह को मैं और बढ़ाऊँगा। अपने सामान्य ज्ञान में वृद्धि के लिये विश्व कोश पढ़ने का भी मेरा विचार है। अवकाश हमें बहुत कुछ नया करने एवं सीखने का अवसर प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त अवकाश हमें समय प्रबन्धन सीखने एवं आत्मावलम्बी बनने का भी अवसर प्रदान करते हैं।


Garmi KI Chutti Par Nibandh Hindi Mein

ग्रीष्मावकाश के क्षण : निबंध

जीवन की एकरसता जीवन को नीरस बना देती है। न उसमें आनन्द होता है और न आकर्षण। नित्य प्रति एक से व्यवहार से, एक से कार्यक्रमों से वह ऊब जाता है, मन उचटने लगता है। जीवन आकर्षणहीन होकर मशीन की तरह चलता रहता है, उसके रक्त तन्तु शिथिल पड़ जाते है। जीवन और जगत् के प्रति मानसिक उल्लास व उत्साह समाप्त-सा हो जाता है। उसे सुन्दरता में भी कुरूपता दृष्टिगोचर होने लगती है। दैनिक कार्यों के अतिरिक्त उसकी कार्यक्षमता समाप्त-सी हो जाती है। इसलिए मानव जीवन समय-समय पर विश्राम और विनोद के लिए कुछ अवकाश के क्षण आवश्यक हो जाते है। दैनिक जीवन के वातावरण में परिवर्तन की आवश्यकता होती है क्योंकि संसार में परिवर्तन का दूसरा नाम जीवन है।

इन्हें भी पढ़ें –

संसार में ऐसा कोई व्यवसाय नहीं जिसमें कुछ न कुछ अवकाश न हो, किसी व्यवसाय में अधिक छुट्टियाँ होती हैं और किसी में कम, परन्तु होती अवश्य हैं। रेलवे तथा पोस्ट ऑफिस, आदि में कुछ कम अवकाश होते हैं परन्तु स्कूल कॉलिजों में अन्य विभागों की अपेक्षा कुछ अधिक अवकाश होते हैं। इसका मुख्य कारण यही है कि अध्यापक और विद्यार्थी दोनों ही मानसिक श्रम अधिक करते हैं। शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम मनुष्य को अधिक थका देता है। शारीरिक श्रम से केवल शरीर ही थकता है, परन्तु मानसिक श्रम से शरीर और मस्तिष्क दोनों ही। इसलिए विद्यार्थी तथा अध्यापक को विशेष विश्राम की आवश्यकता होती है। विद्यार्थी बड़ी उत्सुकता से छुट्टियों की प्रतीक्षा करते हैं। चपरासी के हाथ में आर्डर बुक देखते ही क्लास के छात्र अध्यापक से पूछ उठते हैं, “क्या मास्टर साहब कल की छुट्टी है” इस प्रकार पूछते हुए उसके मुख पर प्रसन्नता नाच उठती है।

ग्रीष्म की भयंकरता तथा विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को दृष्टि में रखकर मई और जून में कॉलिज बन्द हो जाते हैं। इसका कारण यह भी है कि विद्यार्थी पूरे वर्ष पढ़ने में परिश्रम करता हैं। मार्च और अप्रैल के महीनों में वह अपने परिश्रम की परीक्षा देता है। इसके पश्चात् उसे पूर्ण विश्राम के लिये कुछ समय चाहिये। इन्हीं सब कारणों से हमारे छोटे और बड़े स्कूल 40 दिन के लिये बन्द हो जाते हैं। हमें इन लम्बी छुट्टियों को व्यर्थ में नहीं बिता देना चाहिये। कुछ छात्र इन लम्बी छुट्टियों का समुचित उपयोग नहीं करते, वे केवल खेलकूद में सारा समय बिता देते हैं। बहुत थोड़े छात्र ऐसे होते हैं, जो अपना सारा समय सन्तुलित और समान रूप से विभक्त करके उसका सदुपयोग करते हैं। कुछ दिन भर सोते ही सोते बिता देते हैं, कुछ दिनभर गप्पों में, कुछ आपस के झगड़ों में और कुछ दुर्व्यसनों में फंसकर अपने अवकाश के अमूल्य क्षणों को नष्ट कर देते हैं। अन्त में माता-पिता कहने लगते हैं कि हे भगवान इनकी छुट्टियाँ कब खत्म होंगी।

अवकाश के क्षणों में विश्राम और विनोद आवश्यक है, परन्तु मनोविनोद भी ऐसे होने चाहिए जिनसे हमारा कुछ लाभ हो, पुस्तकों जैसा साथी संसार में कोई नहीं हो सकता, चाहे धूप हो या वर्षा, ग्रीष्म हो या शीत वे हर समय आपको सहयोग दे सकती हैं, आपका मनोविनोद कर सकती है। यह साथी एक ऐसा साथी है, जो मस्तिष्क के साथ-साथ हृदय को भी खाना खिलाता है। यह साथी हमें अतीत की मधुर स्मृतियों की याद दिलाता हुआ, वर्तमान के दर्शन कराता हुआ भविष्य की ओर अग्रसर करता है। यदि आप चाहें तो घर बैठे ही बैठे देशान्तर के भ्रमण का आनन्द ले सकते हैं। यही आपको ज्ञान की शिक्षा दे सकता है, दु: ख में धैर्य और संयम भी सिखा देता है। परन्तु साथी का चुनना अपनी योग्यता और विचारों के अनुसार होना चाहिये। इतना ध्यान रखना चाहिए कि वह साहित्य सत्य साहित्य हो, ऐसा न हो कि वह आपको पतन की ओर अग्रसर करने में सहायक सिद्ध हो जाये। यदि हम अपने अवकाश के क्षणों को समाज सेवा में व्यतीत करें तो हमारी भी उन्नति होगी और देश एवं जाति का उत्थान भी।

अशिक्षित को भी शिक्षा व शिक्षा का महत्त्व बतायें, स्वयं भी अपने गांव, अपने मुहल्ले, अपने घर की सफाई में अपना समय व्यतीत करें। अपने-अपने गांव तथा मुहल्ले में पुस्तकालय, वाचनालय, व्यायामशालायें तथा नाट्य परिषदों की स्थापना करके अपने ग्रीष्मावकाश (garmi ki chutti)को सफलतापूर्वक व्यतीत कर सकते हैं। कवि गोष्ठी तथा सांस्कृतिक सभायें भी समय के सदुपयोग के लिए उपयुक्त हैं। अधिक परिश्रम करने के कारण विद्यार्थियों का स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है, उन्हें ग्रीष्मावकाश में अपने स्वास्थ्य के सुधार के लिये भी आवश्यक प्रयत्न करने चाहिये। इन सबके साथ-साथ हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पिछले वर्ष हमारे कौन-से विषय कमजोर थे, जिनमें हमें दूसरों का मुंह देखना पड़ता था। उन विषयों की कमजोरी को अपने बुद्धिमान मित्रो के सहयोग से या अध्यापकों से मिलकर दूर कर लेना चाहिए या आगामी वर्ष में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों का थोड़ा पूर्व ज्ञान कर लेना चाहिये, इससे विद्यार्थी को आगे के अध्ययन में सरलता हो जाती है। अध्यापकों ने जो काम छुट्टी में करने को दिया हो उसे पूरा करना चाहिये।

बुद्धिमान विद्यार्थियों के अवकाश के क्षण भी पुस्तकालय में ही व्यतीत होते हैं। ज्ञान दो प्रकार का होता है-एक स्वावलम्बी और दूसरा परावलम्बी। परावलम्बी ज्ञान हमें गुरूजनों से एवं अच्छी पुस्तकें पढ़ने से प्राप्त होता है। हम लोग अपने-अपने विद्यालय में उसे प्राप्त करते हैं परन्तु स्वावलम्बी ज्ञान हमें स्वयं अपने द्वारा ही फल प्राप्त होता है और उसके अर्जन के लिए उचित समय विद्यार्थी के अवकाश के क्षण हैं, चाहे वह ग्रीष्मावकाश (garmi ki chutti) हो और चाहे वह दशहरावकाश हो। उसमें वह स्वावलम्बी ज्ञान को अधिक मात्रा में प्राप्त करके अपने लम्बे अवकाश को सफल बना सकता है।


Garmi KI Chutti Essay in Hindi Language

गर्मी की छुट्टियों के यादगार पल : निबंध

हमारी गर्मी की छुट्टी (garmi ki chutti) योजना सबसे यादगार थी हमने गोवा की एक छोटी यात्रा की योजना बनाई थी। हालांकि गोवा में जलवाय गर्म थी, यात्रा वास्तव में एक मन पुनश्चर्या थी। हम शाम के दौरान समुद्र तट में आराम करने में सक्षम थे। लहरें ऊपर और नीचे चलती हैं हमें मन की शांति दी और समुद्र तट के समय ने हमें लंबे समय के बाद किसी भी बाधा के बिना हमारे परिवार से बात करने का मौका दिया। हमने कई मछुआरों को समुद्र में घूमते देखा और मछलियों को पकड़ लिया। गोवा की याद के रूप में हमें कई महत्वपूर्ण चीजें भी मिलीं गोवा निश्चित रूप से सबसे अच्छे स्थानों में से एक है, जिसकी आयु जीवन भर में कम से कम एक बार आना चाहिए।

गर्मी का मौसम मार्च में शुरू होता है और अगस्त में समाप्त होता है। यह सीजन बहुत गर्म है। जून इस मौसम का सबसे गर्म महीना है। दिन लंबे होते हैं और रातों की छोटी होती है। इस मौसम में हमें सूरज की गहराई आती है क्योंकि पृथ्वी का एक हिस्सा सूरज की सीधे किरणों का सामना कर रहा है, जो गर्मियों का सामना कर रहा है। गर्मियों में सुबह बहुत अच्छा होता है लेकिन दोपहर में यह बहुत गर्म होता है। सूरज की किरणें बहुत गर्म हैं दिन भर में गर्म हवा चलती है जो हमें बीमार बना सकती है। हम पसीना शुरू करना शुरू करते हैं हम इस मौसम में पर्याप्त पानी पीते हैं।

सड़कें दोपहर में सुनसान हो जाति हैं। लोग प्रशंसकों के नीचे बैठते हैं और गर्मी से खुद को बचाने के लिए सूती कपड़े पहनते हैं। लोग ज्यादातर शीतलन और ठंडे पानी पाने के लिए एयर कूलर, रेफ्रिजरेटर का उपयोग करते हैं। बहुत से लोग गर्मियों में पहाड़ी स्टेशनों पर जाते हैं ग्रीष्म ऋतु आइसक्रीम और ठंडे पेय का मौसम है। यह भी आम, पानी तरबूज, अंगूर और संतरे का मौसम है। लोग आम का रस पीना पसंद करते हैं और एक गन्ना का रस भी जो लोग पृथ्वी के अमृत कहते हैं। इस मौसम में कई खूबसूरत फूल खिल गए हैं। इस सीजन में, किसान अपने खेतों को हल करते हैं और मानसून के लिए तैयार रहते हैं। गर्मियों में हम पर वरदान है क्योंकि मानसून मानसून में बारिश के रूप में गर्मी के मौसम में वाष्पीकृत पानी आने में मदद करता है। राम नवमी, शिवरात्रि और होली, रंगों का त्यौहार गर्मी में मनाया जाता है। स्कूल के बच्चों में उनकी परीक्षाएं होती हैं और फिर गर्मी की छट्टी होती है। यह उनके लिए अध्ययन से ब्रेक लेने और आनंद लेने का समय है।

इस गर्मी की छुट्टी (garmi ki chutti), हम गोवा गए, जो भारत के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से हैं। हमने गोवा में भारत की मनी कैपिटल के लिए 5 दिन की यात्रा की योजना बनाई थी और उसी के लिए वैन बुक किया था। गोवा हमारे देश के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। गोवा अपने समुद्र तटों और पूजा के स्थानों के लिए बहुत अच्छी तरह से जाना जाता है। मुख्य कारण है कि हमने गोवा को हमारे गंतव्य के रूप में चुना है इस वर्ष की संख्या में समुद्र तटों की बड़ी संख्या है। हमने इसे वर्का बीच, कैविललेस बीच, यूटोडा बीच, अरंबोल बीच और अश्वम बीच में बनाया है।

इन्हें भी पढ़ें –

चूंकि हम रोमांच से प्यार करते हैं, इसलिए हम बेट्स द्वीप के लिए हमारा पहला दिन की योजना बना रहे थे। बेट्स द्वीप पर, हम पूरे दिन आराम और स्नोर्कलिंग बिताते थे। दूसरे दिन हम स्प्रेड बोट कूजिंग में दर्शनीय स्थलों का आनंद लेते थे। क्रूज के साथ हमारे पास अच्छा समय था इसलिए हमने इस दिन का आनंद लिया। अगले दिन हमने दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए वैन बुक किया, अर्थात् फोर्ट एगुडा, जिमी के पैलेस, सेंट्रल जेल, राज भवन और डॉल्फिन वॉच।

हमारी यात्रा का सबसे अच्छा हिस्सा चौथे दिन दूधसागर झरना था, जो हमारे देश में पांचवां सबसे बड़ा झरना है। प्राकृतिक दृश्यों में हमने पाया कि शानदार और दुधसागर झरने में हमारा फोटो सत्र सबसे अच्छा था। आखिरी दिन हम रिजॉर्ट में आराम करते थे, जिसे हमने आरक्षित किया था। हमने गोवा में उपलब्ध सभी कीमती चीज़ों का एक अच्छा खरीदारी किया और बागा बीच में शाम को वापस अपने शहर में वापस आने से पहले का आनंद लिया। यात्रा का सबसे अच्छा हिस्सा समुद्र तट के पास हमारे फोटो सत्र था मैं इस यादगार यात्रा कभी नहीं भूल सकता।

हमारा स्कूल 14 मई को बंद हुआ था। हम इस बार अवकाश खर्च करने की योजना बना रहे थे। कई प्रस्ताव थे मेरे माता-पिता हमारे घर के शहर में जाना चाहते थे, और मेरे दादा दादी के साथ लगभग छह सप्ताह या उससे भी ज्यादा के लिए मेरे दोस्तों ने अपनी आस्तीन पर एक ट्रेकिंग अभियान चलाया था, जबकि मेरे सहपाठी ने शिक्षा-दौरे पर कुछ पहाड़ी स्टेशन जाने की कामना की थी, जिसके लिए हमारे कक्षा-शिक्षक ने भी सहमति दी थी। मैं सभी तीन प्रस्तावों का लाभ उठाना चाहता था।

सबसे पहले, मैंने अपनी मां और बड़ी बहन को मेरी कक्षा और शिक्षक के साथ दौरे पर जाने के लिए सहमति दी, क्योंकि रेलवे की रियायत पहले ही ऐसी यात्राओं के लिए अनुमति दी गई थी। उन्होंने मेरे पिता से अनुरोध किया कि वे एक सप्ताह या तो दादादादी से मिलने के लिए कार्यक्रम स्थगित करें। मेरे पिता ने तुरंत सहमति व्यक्त की और निर्णय लिया कि अगर मैं शैक्षिक दौरे के लिए जाना चाहता हूं, तो मैं बाद में उससे जुड़ सकता हूं। वह और मेरी माँ ने मेरी बहन और मेरे दौरे के बाद मुझे अग्रिम पार्टी में शामिल होने के लिए सहमति दी। मेरे दोस्त ट्रेकिंग पर जाने के लिए सहमत हुए, दोनों यात्रा से मेरी वापसी के बाद, जैसा कि मई में मौसम पहाड़ियों में चढ़ने के लिए अनुकूल नहीं था, जो कि आल्प्स के पास भी था, तीन यात्राएं निम्न क्रम में योजना बनाई गई।

मई में शिक्षा दौरे, घर जून में शहर की यात्रा और जुलाई में ट्रेकिंग, जब मानसून देश के इस हिस्से तक पहुंचता है। मेरे कक्षाशिक्षक ने पैंतीस छात्रों और तीन शिक्षकों के लिए रेलवे की रियायत के लिए व्यवस्था की थी। हमने 20 मई को यूरो एक्सप्रेस से लगभग 2 पीएम पर शुरू किया था। रेलवे मंच तक पहुंचने के बाद से रेलगाड़ी ने कुछ मिनटों तक वहां बंद कर दिया था, यह एक बड़ा रेलवे जंक्शन था। हम पेरिस में हमारे तीन दिन का आनंद ले रहे थे वहां हमें थॉमस स्ट्रीट पर एक लॉज में बुक किए गए हमारे कमरे मिल गए। हम चार बार पास के नदी में नौकायन कर रहे थे। हम अलग-अलग जगहों पर गए हम 25 मई को लौट आए।

मेरे पिता ने 2 जून को एयर फ्रांस के द्वारा हमारी सीट बुक की थी। मेरी बहन के साथ मैं इस यात्रा पर गया था जैसा कि पहले से । ही तय हो गया था और 3 जून को घर के शहर पहुंचा था। वहां से हमें पास के शहर में मोटर नीचे जाना पड़ा था। हम पूरे जून के लिए अपने दादा दादी के साथ रहे। जुलाई में रिटर्निंग, हम ट्रेकिंग-ट्रिप पहाड़ियों पर चले गए और एक दिन में 20 किलोमीटर की दूरी पर आ गए। रॉक क्लाइम्बिंग बहत कठिन था। इस प्रकार, मैंने अपनी गर्मी की छुट्टियों (summer vacation) को बहत अच्छी तरह से बिताया।