कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध: Kanya Bhrun Hatya Par Nibandh (Female Foeticide Essay in Hindi)

कन्या भ्रूण हत्या (Kanya Bhrun Hatya) एक सामजिक बुराई तो है ही साथ में मानवता पर भी कलंक है। इस बुराई के बारे में वैसे तो हम सभी भली-भाँति अवगत हैं, लेकिन फिर भी हम सभी को इसके बारे में और इसके कारणों के बारे में जानना अति आवश्यक है ताकि हम अज्ञानता के अंधकार से बाहर निकल सकें। इसी विषय की गंभीरता को देखते हुए आज हम आपके साथ कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध (Kanya Bhrun Hatya Per Nibandh) शेयर करने जा रहें है। ये निबंध शैक्षणिक तौर से तो आपके लिए फायदेमंद हैं ही और साथ में सामाजिक ज्ञान के लिए भी लाभदायक हैं।

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Kanya Bhrun Hatya Essay in Hindi (हिंदी निबंध)

कन्या भ्रूण हत्या : निबंध 1 

Female Foeticide in Hindi Meaning

गर्भ से लिंग परीक्षण जाँच के बाद बालिका शिशु को हटाना कन्या भ्रूण हत्या है।

केवल पहले लड़का पाने की परिवार में बुजुर्ग सदस्यों की इच्छाओं को पूरा करने के लिये जन्म से पहले बालिका शिशु को गर्भ में ही मार दिया जाता है। ये सभी प्रक्रिया पारिवारिक दबाव खासतौर से पति और ससुराल पक्ष के लोगों के द्वारा की जाती है। गर्भपात कराने के पीछे सामान्य कारण अनियोजित गर्भ है जबकि कन्या भ्रूण हत्या परिवार द्वारा की जाती है। भारतीय समाज में अनचाहे रुप से पैदा हुई लड़कियों को मारने की प्रथा सदियों से है।

लोगों का मानना है कि लड़के परिवार के वंश को जारी रखते हैं जबकि वो ये बेहद आसान सी बात नहीं समझते कि दुनिया में लड़कियाँ ही शिशु को जन्म दे सकती हैं, लड़के नहीं।

कुछ सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक नीतियों के कारण पुराने समय से किया जा रहा कन्या भ्रूण हत्या एक अनैतिक कार्य है। भारतीय समाज में कन्या भ्रूण हत्या के निम्न कारण हैं:

कन्या भ्रूण हत्या की मुख्य वजह बालिका शिशु पर बालक शिशु की प्राथमिकता है क्योंकि पुत्र आय का मुख्य स्त्रोत होता है जबकि लड़कियां केवल उपभोक्ता के रुप में होती हैं। समाज में ये गलतफहमी है कि लड़के अपने अभिवावक की सेवा करते हैं जबकि लड़कियाँ पराया धन होती है।

कन्या भ्रूण हत्या के कारण (Kanya Bhrun Hatya Ke Karan)

  • दहेज़ व्यवस्था की पुरानी प्रथा भारत में अभिवावकों के सामने एक बड़ी चुनौती है जो लड़कियां पैदा होने से बचने का मुख्य कारण है।
  • पुरुषवादी भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति निम्न है।
  • अभिवावक मानते हैं कि पुत्र समाज में उनके नाम को आगे बढ़ायेंगे जबकि लड़कियां केवल घर संभालने के लिये होती हैं।
  • गैर-कानूनी लिंग परीक्षण और बालिका शिशु की समाप्ति के लिये भारत में दूसरा बड़ा कारण गर्भपात की कानूनी मान्यता है।
  • तकनीकी उन्नति ने भी कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा दिया है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि महिलाओं के भविष्य के लिये कन्या भ्रूण हत्या एक अपराध और सामाजिक आपदा है। भारतीय समाज में होने कन्या भ्रूण हत्याओं के कारणों का हमें ध्यान देना चाहिये और नियमित तौर पर एक-एक करके सभी को सुलझाना चाहिये। लैंगिक भेदभाव की वजह से ही मुख्यत: कन्या भ्रूण हत्या होती है। इसके ऊपर नियंत्रण के लिये कानूनी शिकंजा होना चाहिये।

भारत के सभी नागरिकों द्वारा इससे संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिये। और इस क्रूरतम अपराध के लिये किसी को भी गलत पाये जाने पर निश्चित तौर पर सजा मिलनी चाहिये। चिकित्सों के इसमें शामिल होने की स्थिति में उनका स्थायी तौर पर लाइसेंस को रद्द करना चाहिये।

गैरकानूनी लिंग परीक्षण और गर्भपात के लिये खासतौर से मेडिकल उपकरणों के विपणन को रोकना चाहिये। उन अभिवावकों को दण्डित करना चाहिये जो अपनी लड़की को मारना चाहते हैं। युवा जोड़ों को जागरुक करने के लिये नियमित अभियान और सेमिनार आयोजित करने चाहिये। महिलाओं का सशक्तिकरण होना चाहिये जिससे वो अपने अधिकारों के प्रति अधिक सचेत हो सकें।

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Female Foeticide Essay in Hindi

कन्या भ्रूण हत्या हिंदी निबंध – 2 

संविधान द्वारा महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने के बाद भी उनके प्रति सामाजिक भेदभाव में कमी नहीं हुई है, इसलिए परिवार के लोग भविष्य में परिवार की देखभाल करने वाले के रूप में नर शिशु की कामना करते हैं| भारतीय समाज में यह अवधारणा रही है कि वंश पुरुष से ही चलता है, महिलाओं से नहीं इसलिए सभी लोग अपने-अपने वंश परंपरा को कायम रखने के लिए पुत्र की चाह रखते हैं| उसे पुत्री की तुलना में अधिक लाड प्यार देते हैं किंतु वह भूल जाते हैं कि उनकी पुत्री भी आगे चलकर मदर टेरेसा, पीटी उषा, लता मंगेशकर, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स आदि बनकर उनके कुल और देश का गौरव बन सकती हैं|

भारत में वर्ष 2004 में पीसीपीएनडीटी एक्ट लागू कर भ्रूण हत्या को अपराध घोषित कर दिया गया| इसके बाद भी कन्या भ्रूण हत्या पर पूर्ण नियंत्रण नहीं हो सका| लोग चोरी छिपे पैसे के बल पर इस कुकृत्य को अंजाम देते हैं| कन्या भ्रूण हत्या एक सामाजिक अभिशाप है और इसे रोकने के लिए लोगों को जागरुक करना होगा| महिलाओं को आत्मनिर्भर बना कर ही इस कृत्य को रोका जा सकता है।

कानून तब तक कारगर नहीं होता, जब तक कि उसे जनता का सहयोग ना मिले| जनता के सहयोग से ही किसी अपराध को रोका जा सकता है| कन्या भ्रूण हत्या एक ऐसा अपराध है इसमें परिवार हैं समाज के लोगों की भागीदारी होती है, इसलिए जागरुक नागरिक की ही इस कुकृत्य को समाप्त करने में विशेष भूमिका निभा सकते हैं|

सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन समाज से इस कलंक मिटाने के लिए प्रयासरत है| इस कार्य में मीडिया भी अपनी सशक्त भूमिका निभा रहा है, आवश्यकता बस इस बात की है कि जनता भी अपने कर्तव्य को समझते हुए कन्या भ्रूण हत्या जैसे सामाजिक कलंक मिटाने में समाज का सहयोग करें| सच ही कहा गया है आज बेटी नहीं बचाओगे तो कल मां कहां से पाओगे|

किसी भी देश की प्रकृति तब तक संभव नहीं है, जब तक वहां की महिलाओं को प्रगति के पर्याप्त अवसर ना मिलें| जिस देश में महिलाओं का अभाव हो, उसके विकास की कल्पना भला कैसे की जा सकती है| कन्या भ्रूण हत्या पर नियंत्रण कर इसे समाप्त करने में महिलाओं की भूमिका सार्वधिक महत्व हो सकती है, किंतु साक्षर महिला ही अपने अधिकारों की रक्षा कर पाने में सक्षम होती है, इसलिए हमें महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा|

महिला परिवार की धुरी होती है| समाज के विकास के लिए योग्य माताओं, बहनों एवं पत्नियों का होना अति आवश्यक है| यदि महिलाओं की संख्या में कमी होती रही तो सामाजिक संतुलन बिगड़ जाएगा हैं समाज में बलात्कार, व्यभिचार इतिहास की घटनाओं में वृद्धि होने लगेगी|


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