Mere Sapno Ka Bharat Nibandh Hindi Mein
मेरे सपनो का भारत हिंदी निबंध (Mere Sapno Ka Bharat Essay in Hindi) सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए उपयोगी है। परीक्षा में महत्वपूर्ण विषय होने के साथ हमे भारतवासी होने का गर्व महसूस करते हुए हमारे भारतदेश के बारे में और अधिक जानना चाहिए और हम एक खुशहाल राष्ट्र के रूप में सपनो का भारत देखते हैं।
मेरे सपनों का भारत : निबंध (1000 Words)
संपूर्ण देशों से अधिक जिस देश का उत्कर्ष है,
वह देश मेरा देश है, वह देश भारतवर्ष है।
जब संसार में सभ्यता का विकास नहीं हुआ था, तब भारत के ऋषियों ने वेदों की रचना की। उन्होंने घने वनों में, नदी के तटों पर या पर्वतों की गुफाओं में रहते हुए, कंद-मूल फल खाकर सरल एवं सादा जीवन व्यतीत करके मनुष्य को ज्ञान का प्रकाश दिया था।
आध्यात्मिक रूप से ही नहीं, भौतिक रूप से भी भारत (Bharat) संपन्न देश रहा है। प्राचीनकाल में तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। विज्ञान, ज्योतिष, नक्षत्र-विद्या, गणित, चिकित्साशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि विषयों के विद्वानों ने भारत की पावन धरती पर ही जन्म लिया था। उन्होंने अनेक देशों को सभ्यता एवं ज्ञान की शिक्षा दी। भारत की महिमा का उद्घाटन करते हुए कविवर ‘नीरज’ ने लिखा है-
रही जहाँ पर नित्य विहरती मधु की बेला,अंचल-अंचल नित्य नवामोदों से खेला।जिसका गौरव लिए रही, निज अंचल भरती,अखिल धरा पर यही सभ्यताओं की धरती।
मेरा गौरवपूर्ण भारत- मेरा देश एक विशाल देश है। इसमें 25 राज्य और 7 केंद्रशासित प्रदेश हैं। यहाँ विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। भारत (Bharat) के उत्तर में हिमालय और दक्षिण में महासागर है। इस भारत-भूमि में अनेक नदियाँ मैदान और मरुस्थल हैं।
भारत कृषि-प्रधान देश है। यहाँ गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा, चना, धान, गन्ना आदि फ़सलें होती हैं। भारत में ही पृथ्वीराज, चंद्रगुप्त, अशोक, विक्रमादित्य आदि वीर पुरुषों ने जन्म लिया है।
हरिद्वार, काशी, मथुरा, द्वारका, प्रयाग, अजमेर आदि इसके तीर्थस्थल हैं। यहाँ अनेक दर्शनीय स्थल भी हैं। विवेकानंद, दयानंद, महात्मा गांधी, भगतसिंह, रामकृष्ण परमहंस, चंद्रशेखर आजाद, शिवाजी, गुरु गोविंदसिंह आदि वीर महापुरुषों ने भारत (Bharat) की भूमि को महकाया है। यहाँ तेल, गैस, लोहा, कोयला, हीरे, सोना आदि की खानें और भंडार हैं। यह पूर्णरूप से समृद्ध एवं समुन्नत देश है।
मेरा देश और मेरे सपने- प्रत्येक भारतवासी, जो अपने देश से प्यार करता है, यही सपने देखता है कि उसके देश में पुनः रामराज्य की स्थापना हो और उसका राष्ट्र विश्व-भर में महान् बने। मैं भी अपने भारत के सुखमय भविष्य के सपने देखता हूँ। मैंने भावी भारत के लिए कुछ सपने सँजोए हैं, जिनमें मैंने भव्य एवं महान भारत की तस्वीरें देखी हैं। मेरे भावी भारत के सपने कुछ इस प्रकार हैं
(क) राजनीतिक उत्कर्ष-मैं चाहता हूँ कि मेरा भारत जन-जन के लिए मंगलकारी और लोकतांत्रिक दृष्टि से विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बने। जन-जन में राजनीतिक जागरूकता हो और देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्रहित की बात सोचे, उसमें परस्पर सद्भावना स्थापित हो और विश्व-शांति की बंशी के स्वर दिगदिगंत में गूंजें। मेरी आकांक्षा है कि मेरा भारत ऐसा राजनीतिक उत्कर्ष लिए हुए हो कि किसी भी देश की कलुषित दृष्टि हमारे देश पर न पड़े।
(ख) राष्ट्रीय एकता-हमारे देश में विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं। उनमें धार्मिक एवं सांप्रदायिक झगडे होते रहते हैं। सर्वत्र जातिवाद का बोलबाला है। आज ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे हमारे राष्ट्र के नागरिक एकता की परिभाषा भूल गए हैं। मैं उस दिन के सपने देखता हूँ, जब भारत जातिवाद और सांप्रदायिक झगडों को पूर्णरूपेण समाप्त कर देगा, जब यहाँ भाषागत विरोध नहीं होगा तथा जब देश एकता के सूत्र में बँधा होगा। तब सब कहेंगे-
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
हिंदी हैं हम, वतन है हिंदोस्ता हमारा।
(ग) धन-धान्य-समृद्धि-मैं सोचता हूँ, मेरा भारत पुनः सोने की चिड़िया बन जाए। यहाँ कोई भूखा न रहे। हर प्राणी के तन पर वस्त्र हों, उसके रहने के लिए आवास हो, उस पर खाने के लिए भोजन हो, यहाँ गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा का प्रभुत्व समाप्त हो तथा ‘सुजलां मलयज शीतलाम् शस्यश्यामलां मातरम्’ का स्वर गूंजे।
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(घ) आध्यात्मिक विकास-भारतभूमि पुण्यभूमि है, अध्यात्म की भूमि है। मेरी कामना है कि मानव भौतिकवादी सुखों के मोह को त्यागकर आध्यात्मिकता की ओर उन्मुख हो। मेरे मानस-पटल पर भावी भारत का जो चित्र है, उसमें मैं अपने देश को समस्त विश्व में मंगल-वर्षा करनेवाले अक्षय आलोक-केंद्र के रूप में देखता हूँ।
(ङ) विश्व-मंगलकारिणी भारतीय संस्कृति का प्रसार-मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत है, जो पुनः ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का घोष करे। भारतभूमि से मानव-मंगलकामना के लिए यही स्वर उठे
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यतु मा कश्चिद् दु: ख भाग्भवेत।
मेरी कामना है कि समस्त मानवमूल्य इस भारत (Bharat) भूमि पर प्रतिष्ठित हों।
(च) रामराज्य की स्थापना-कहा जाता है कि ‘दैहिक, दैविक, भौतिक तापा, रामराज्य नहिं काहुहिं व्यापा।’ अर्थात् रामराज्य में किसी भी प्रकार के शारीरिक, सांसारिक अथवा दैवीय दख जनता को भोगने नहीं पडते थे। रामराज्य का ऐसा साकार रूप ही मेरे सपनों में उतरता है। मेरी अभिलाषा है कि भारत में रामराज्य का आदर्श रूप पुनः प्रतिष्ठित हो।
(छ) वैज्ञानिक विकास—मेरी अभिलाषा है कि भारत विश्व में वैज्ञानिक उत्कर्ष का महान् केंद्र बने। इसमें अनेकानेक वैज्ञानिक साधनों का विकास एवं निर्माण हो। किंतु विज्ञान द्वारा विश्व-विनाश का नहीं, अपितु विश्व-शांति और समृद्धि का द्वार खुले।
(ज) विश्व का आदर्श देश-मेरे सपनों का भारत वह भारत होगा जो राजनीतिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक दृष्टियों से उत्कर्ष को प्राप्त होगा। यहाँ का प्रत्येक नागरिक गाएगा
सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलसिताँ हमारा।
भावी भारत (Bharat) के सपनों को पूर्ण करने के लिए यह आवश्यक है कि हमारे देश का प्रत्येक नागरिक देश की प्रत्येक बुराई को समूल नष्ट कर दे, सपनो के भारत के लिए (Sapno Ka Bharat) हम सभी को राष्ट्रहित में कार्य करने होंगे, तभी मेरे स्वप्न मूर्तरूप ले सकेंगे।