Munshi Premchand Ka Jeevan Parichay in Hindi
स्वागत है आप सभी का Hinditipsguide की एक नई और महत्वपूर्ण पोस्ट में जिसका विषय है मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (munshi premchand ka jeevan parichay in Hindi). जैसा की आप सभी जानते है की हम आप सभी के लिए परीक्षा में अधिकतर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण विषयों से सम्बंधित पोस्ट लेकर आते है। इसलिए आज का विषय भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितने की अन्य विषय। मुंशी प्रेमचंद जी हिंदी साहित्य के महान कथाकार रहें है, आज भी हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद की कहानियों (Munshi Premchand Stories) को बड़े चाव के साथ हर कोई पढ़ना पसंद करता है। महान कथाकर मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (Munshi Premchand ka jeevan parichay ) और साहित्यिक परिचय को जानने के लिए पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
Munshi Premchand KI Jivani Hindi Mai
प्रसिद्ध कथाकार प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय (Munshi Premchand Biography In Hindi)
जीवन परिचय – मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के प्रमुख कथाकार माने जाते हैं। इनका जन्म 31 जुलाई सन 1880 ई. में वाराणसी के समीप लमही नामक गांव में हुआ। इनके बचपन का नाम धनपत राय था। इनके पिता अजायब राय डाकखाने में किरानी थे। जब उनकी आयु मात्र सात वर्ष थी तभी इनकी मां श्रीमती आनंदीबाई का देहांत हो गया। इनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया, परंतु विमाता इन्हें प्रेम की बजाय घृणा की दृष्टि से देखती थी। इन्होंने अपनी पर प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त कि। 15 वर्ष की आयु में उनका विवाह कर दिया गया, परंतु वह पत्नी के लड़ाकू प्रवृत्ति की होने के कारण सफल नहीं रहा। उन्होंने जैसे-तैसे दसवीं कक्षा पास करके प्राथमिक स्कूल में अध्यापन कार्य किया। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने बीए की परीक्षा पास की और शिक्षा विभाग में डिप्टी स्पेक्टर नियुक्त हुए। इस बीच 1905 ई. में इन्होंने बाल-विधवा शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया। शिवरानी देवी से इनका विवाह सफल रहा। इनकी पत्नी ने इनका कदम-दर-कदम सहयोग किया। 1922 ई. में ये काशी विद्यापीठ में स्कूल विभाग के हेड मास्टर नियुक्त हुए। उन्होंने नवाबराय के नाम से उर्दू में लेखन किया। परंतु बाद में वे प्रेमचंद के नाम से हिंदी में लिखने लगे। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया तथा अपना एक छापाखाना भी लगाया। 1936 ईस्वी में लखनऊ में हुई प्रथम ‘प्रगतिशील लेखक संघ‘ की बैठक की अध्यक्षता की तथा इसी वर्ष 8 अक्टूबर को यह महान कथाकार हमसे सदा के लिए बिछुड गया।
मुंशी प्रेमचंद की रचनाएँ – Munshi Premchand KI Rachnaye
रचनाएं – मुंशी प्रेमचंद जी ने अपनी लेखनी से हिंदी गद्य साहित्य विशेषकर कथा साहित्य कि श्री वृद्धि की है। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं-
उपन्यास-
सेवासदन, कायाकल्प, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, निर्मला, गबन, प्रतिज्ञा, गोदान, मंगलसूत्र (अधूरा)।
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मुंशी प्रेमचंद की कहानियां – Munshi Premchand Stories
कहानियां-
इनकी लगभग 300 कहानियां मानसरोवर (8 खण्ड) में प्रकाशित हैं।
प्रसिद्ध कहानियां पंच परमेश्वर, नशा, कफन, पूस की रात, ठाकुर का कुआं, दो बैलों की कथा, दूध का दाम आदि।
निबंध संग्रह कुछ विचार, मो. शेखसादी, तलवार और त्याग।
शिशु साहित्य कुत्ते की कहानियां, टालस्टाय की कहानियां, मनमोदक, लालची।
सम्पादन मर्यादा, हंस, जागरण, माधुरी आदि।
उपलब्धियां कथा सम्राट, उपन्यास सम्राट।
Munshi Premchand Ka Sahityik Parichay in Hindi
साहित्यिक विशेषताएं – प्रेमचंद हिंदी कहानियों को आधुनिक तथा यथार्थ रूप देने वाले कथाकार माने जाते हैं। उनके कथा-साहित्य की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
व्यापक विषय वस्तु- प्रेमचंद एक जागरूक साहित्यकार थे। उन्होंने अपनी कहानियों में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक सांस्कृतिक आदि सभी क्षेत्रों से जुड़े पक्षों को अपनी कहानियों उपन्यासों में उठाया है। कफन व पूस की रात कहानियों में उन्होंने अत्याचार व शोषण के भयावह परिणामों का को दर्शाया है। सवा सेर गेहूं में धार्मिक रूढ़ियों का मंत्र कहानी में भोग-विलास की प्रवृत्ति आदि का चित्रण किया है।
गांधीवादी विचारधारा का समर्थन – प्रेमचंद के संपूर्ण साहित्य पर गांधीवादी विचारधारा का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। उनके उपन्यासों विशेषकर कर्मभूमि, रंगभूमि, प्रेमाश्रम आदि में गांधीवाद को ही समर्थन दिया गया है। उनके साहित्य में सत्य अहिंसा भाईचारे की भावना आदि पर विशेष बल दिया गया है।
समाज सुधार की भावना – प्रेमचंद के साहित्य में समस्याओं को न केवल उठाया गया है बल्कि उनका समाधान भी प्रस्तुत किया गया है। सेवा सदन में वेश्यावृत्ति की समस्या, गबन में नारी के आभूषण प्रेम की समस्या, कर्म भूमि में जमीदारों के अत्याचारों का पूंजीपतियों की हठधर्मिता की समस्या, निर्मला में अनमेल विवाह की समस्या आदि का चित्रण किया गया है। इस प्रकार प्रेमचंद अपने साहित्य में इन समस्याओं को उनके दुष्प्रभावों से परिचित कराते हैं तथा उन्हें दूर करने के लिए प्रेरित भी करते हैं।
आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद – प्रेमचंद का साहित्य आरम्भ में आदर्शवाद पर टीका दिखाई देता है। उसमें अधिकांश असत् पात्र सदपात्रों के प्रभाव में आकर अपने अवगुणों को त्याग कर देते हैं। परंतु धीरे-धीरे उनकी कृतियों में आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद का समावेश होता गया। इस प्रकार के कहानियों उपन्यासों में वे यथार्थ का चित्रण करते हुए भी आदर्श को पाठक के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। उनका गोदान उपन्यास व कफ़न, पूस की रात आदि कहानियां कठोर यथार्थवाद पर आधारित हैं।
ग्राम्य जीवन के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण- प्रेमचंद से पूर्व किसी भी साहित्यकार ने इतने व्यापक स्तर पर ग्रामीण जीवन को अपने साहित्य में आधार नहीं बनाया था। प्रेमचंद का साहित्य ग्रामीण जीवन की संपूर्ण झांकी को प्रस्तुत करता है। गोदान उपन्यास तो ग्रामीण जीवन का महाकाव्य कहलाता है। बड़े घर की बेटी, पंच परमेश्वर, दो बैलों की कथा आदि कहानियों भी ग्रामीण पृष्ठभूमि में लिखी गई हैं। इन रचनाओं में उन्होंने ग्रामीणों के प्रति एक नवीन व स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाकर उनकी समस्याओं को प्रभावशाली ढंग से उठाया है।
भाषा शैली – प्रेमचंद के व्यक्तित्व की भांति उनके साहित्य की भाषा भी सरल सहज व प्रभावशाली है। यद्यपि उनके साहित्य में तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है परंतु उन्होंने अधिकांशत तद्भव, देशज, अरबी, फारसी व अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग किया है। उन्होंने लोकोक्तियां व मुहावरों के प्रयोग से भाषा को रोचक बना दिया है। उन्होंने अपने साहित्य में सूक्तियो का प्रयोग करके उसे अनुठा बना दिया है। उनकी रचना में वर्णनात्मक, व्यंगात्मक, भावात्मक स्वादात्मक आदि शैलियों का प्रयोग हुआ है। सधारणातः उन्होंने भावों एवं विचारों को सीधे व स्पष्ट रूप से प्रकट किया है अतः उनकी भाषा में अभिधा शब्द शक्ति का प्राधान्य है। कहीं-कहीं पर उन्होंने अलंकृत व चित्रात्मक भाषा का भी प्रयोग किया है।
Conclusion of Munshi Premchand in Hindi
मुंशी प्रेमचंद एक महान कथाकार के साथ-साथ एक अच्छे समाज सुधारक भी रहें है, उन्होंने अपनी रचनओं के माध्यम सामाज में फैली कुरीतियों का विरोध किया है। मुंशी प्रेमचंद की कहांनियां (Munshi Premchand Stories) अत्यंत भावुक कर देनी वाली भी है। उनकी साहित्य विधा और जीवन के बारे में जानने के पश्चात् हम निश्चित रूप से उन्हें हिंदी साहित्य के महान कथाकारों में दर्ज़ा देते है। उम्मीद करते है आप सभी को मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (munshi premchand ka jeevan parichay) से जुडी आज की यह पोस्ट जरूर पसंद आयी होगी।
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