मैं एक नदी हूँ, जिसका नाम यमूना है। मेरी उत्पत्ति उन ऊँचे पर्वतों से होती है जहाँ बर्फ के पिघलने से पानी की धाराएँ बहने लगती हैं। मैं धीरे-धीरे उस पथ पर बहती हूँ जिसका परिणामस्वरूप गाँवों, शहरों और खेतों के किनारे बहने के बाद मैं नदी के मुख में मिलती हूँ।
मेरी यात्रा में मैं अनेक चरणों से गुजरती हूँ, पहला चरण वह है जब मैं पहाड़ों की ऊँचाइयों से नीचे बहती हूँ। मेरे पानी की धाराएँ छोटे-छोटे नालों में मिलकर समुंद्र तक पहुँचती हैं। मैं अपने पाथ में पशु-पक्षियों के लिए जीवन की स्रोत बनती हूँ, उनकी प्यास बुझाती हूँ और उनकी जरूरतों की पूर्ति करती हूँ।
मेरी दूसरी यात्रा के दौरान मैं अनेक समस्याओं का सामना करती हूँ। शहरों में मेरे पानी का प्रदूषण होता है, जो मेरी स्वच्छता को प्रभावित करता है। इसके साथ ही मैं अक्सर बाढ़ों की समस्या से भी गुजरती हूँ, जिससे किसानों के फसलों को नुकसान होता है और लोगों की जिन्दगी पर भारी प्रभाव पड़ता है।
मैं अपनी यात्रा के अंत में समुंद्र में मिलती हूँ, जहाँ मेरे पानी का मिलन समुंद्र के साथ होता है। इसके बाद फिर से मैं आकार बदलकर बादलों की रूपरेखा में बदल जाती हूँ और फिर से उन पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने का काम करती हूँ।
मैं गर्मियों में अपने पानी की धाराएँ कम हो जाती हैं और मोनसून के समय मेरे पानी की धाराएँ बढ़ जाती हैं। मेरे पानी की धाराएँ किनारों को छूती हैं और वन्यजीवों को जीवन देती हैं।
इस प्रकार, मैं नदी स्वयं अपनी आत्मकथा सुनाती हूँ। मैं जीवन की स्रोत हूँ, प्राकृतिक संसाधन हूँ और सभी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हूँ।
Nadi Ki Atmakatha Hindi Nibandh (For Class 5,6,7,8,9 & 10th)

प्रस्तावना:
मैं एक नदी हूँ और मेरा नाम नदी है। मैंने अपने जीवन के सफर में अनगिनत दृश्यों को देखा है और अनेक लोगों की जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस निबंध में, मैं अपनी आत्मकथा के माध्यम से अपनी यात्रा का वर्णन करने जा रही हूँ।
जन्म और उत्पत्ति:
मेरी उत्पत्ति एक छोटे से स्रोत से होती है, जहाँ पानी की बूँदों का संग्रह होता है। मैं वहाँ से अपनी यात्रा की शुरुआत करती हूँ और धीरे-धीरे बड़ी होती जाती हूँ।
मैं निकलती हूँ:
मेरी यात्रा शुरु होते ही मैं अपने पथ में आगे बढ़ने लगती हूँ। मैं समुद्र और नदी किनारों के रास्तों में बहती हूँ और अपने जल की गति से रास्ता तय करती हूँ।
अपनी यात्रा का वर्णन:
मैं अपनी यात्रा में अनेक परिदृश्यों को देखती हूँ। मैं पहाड़ों को छूकर गुजरती हूँ, मैं खुले मैदानों में बहती हूँ और शहरों के बीच में अपनी मित्र नदियों से मिलती हूँ।
मैं वनस्पतियों और पशुओं के लिए जीवनदायी स्रोत हूँ, जिनकी आवश्यकता मैं पूरी करती हूँ। मैंने कई लोगों की जीवन में आकर उनके पानी की आवश्यकता पूरी की है और उनकी जीवन को संजीवनी शक्ति दी है।
मेरा महत्व:
मैंने समय के साथ अपनी महत्वपूर्णता साबित की है। मेरा पानी मनुष्यों के जीवन का अत्यधिक हिस्सा है और बिना मेरे, जीवन सम्भव नहीं है।
निष्कर्ष:
मैं एक नदी हूँ और मेरा जीवन अपनी महत्वपूर्णता के साथ अग्रसर होता जा रहा है। मैं लोगों की आवश्यकताओं को पूरी करती हूँ और उनके जीवन को समृद्धि से भर देती हूँ।
मेरी यात्रा न एक ही दिशा में बढ़ती है, बल्कि मैं अनेक जीवों के जीवन में भी आकर्षित होती हूँ। मैं उनकी आवश्यकताओं को पूरी करने में मदद करती हूँ, जैसे कि मैं जलप्रपातों के रूप में विकसित होती हूँ और उनके जीवन को संजीवनी शक्ति देती हूँ।
जीवों के लिए मैं एक महत्वपूर्ण स्रोत हूँ, जिनकी आवश्यकता सभी जीवों को होती है। मैं उनके पीने के पानी की आवश्यकता पूरी करती हूँ और उनकी विकास में मदद करती हूँ।
मेरी यात्रा निरंतर चलती रही है, मुझे कभी भी विराम नहीं आता। मैं आदि से लेकर अंत तक निरंतर बहती रहती हूँ, और अपनी यात्रा के दौरान मैंने अनगिनत परिदृश्यों को देखा है।
मेरी गहराईयों में कई खजाने छिपे होते हैं, जिन्हें मैंने खुद अनुभव किया है। मेरी धाराएँ खेतों को सींचती हैं, जिनसे फसलों की उन्नति होती है और लोगों का जीवन समृद्धि से भरता है।
मेरी यात्रा में कई बार मैं बाधाओं का सामना करती हूँ, लेकिन मैं निरंतरता से अपनी यात्रा को जारी रखती हूँ। मैंने कई बार बाढ़ों, बर्फबारियों और बंदूकों के साथ लड़ा है, लेकिन मैं हमेशा उनके सामने हार नहीं मानी।
निष्कर्ष:
मैं नदी हूँ और मेरी यात्रा निरंतरता से चलती रही है, मैं लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हूँ और उनकी आवश्यकताओं को पूरी करने में सहायक हूँ। मैंने अपनी यात्रा में अनेक रूपों को धारण किया है और लोगों की जीवन में सकारात्मक परिवर्तन को लाया हूँ।
दोस्तों उम्मीद करते हैं की आपको नदी की आत्मकथा पर निबंध (Nadi Ki Atmakatha Essay in Hindi) जरूर पसंद आया होगा।